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अकबर का बेटा सलीम था लेकिन वो अपने पिता का उत्तराधिकारी या सम्राट बन ना सका उसके पीछे कुछ घटना हुई थी इसकी वजह से ऐसा हुआ था | ई.सा 1595 में अकबर ने सलीम को अजमेर के शासक के तौर पे चुना था | उसका मंत्री शाहबाज खान बहोत अमीर था | उस समय अकबर दक्षिण में उपस्थित था उसका लाभ उठा के शाहबाज खान के मौत के बाद उसकी जितनी मिलकत थी उसे जब्त कर लिया और आगरा को हासिल करने के लिये निकला | वहां के सूबा था जिसको अकबर ने नियुक्त किया था उसे अपना किला उसे देने को कहा लेकिन वो माना नहीं फिर सलीम ने बिहार के खज़ाने से 30 लाख ले लिये उसके बाद दिल्ही से हाजीपुर तक का प्रदेश अपने काबू में लिया और दरबार भर के खुद को सुलतान की उपाधि दे दी |
सलीम के विद्रोह को रोकने के लिये अकबर ने अबुल फजल को बुलाया लेकिन उसे रास्ते में सलीम ने मरवा दिया | उसके बाद ई.सा 1602 में अपने पिता अकबर से अपने सबंध सुधारने के लिये वो आगरा गया और 12 हजार सोने के सिक्के और 770 हाथी भेट किये | उसके थोड़े समय के बाद अकबर ने मेवाड के राणा पर आक्रमण करने के लिये सलीम को आदेश दिया लेकिन उसने मना कर दिया | तब अकबर को सलीम को अल्हाबाद जाने के मंजूरी दी लेकिन सलीम ने अल्हाबाद को अपने कब्ज़े में ले लिया और वो वहा का शासक है वैसे ही रहने लगा | एक सेवक सलीम के बारे मे वो अकबर को बताने जा रहा था तो उसे जिंदा ही जला दिया | अकबर को पता लगा तो वो उसका जवाब देने के लिये निकला पर रास्ते में पता चला की उसकी मा की मौत हो गयी है और वो वापस लोट गया |
सलीम अपनी दादीमा मौत का शौक प्रगट करने के गया उस वक्त सलीम को अकबर ने माफ़ तो कर दिया पर वो उससे के लिये अंदर से बहोत गुस्सा था | सलीम के इस तरह बुरे स्वभाव के वजह से वो कभी अकबर जगह ले नहीं सका और कभी सम्राट नहीं बन सका |
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