जब चेतना के बारे में सोचा जाया है तब ये कहा जाता है की चेतना सब जीव में होती है वो जीवन को जीवन बनाती है | लेकिन चेतना कैसी दिखती है तो उसका उतर किसी के पास नहीं होगा | जब हम अपने आप को पदर्शित करते है तो वो चेतना ही है जो हमको हम हे वो बताती है जब हम कोई अनुभव करते है तब अनुभव चेतना ही कराती है |
चेतना के बारे में जानने के लिये बहोत से विज्ञानको ने कोशिश की लेकिन वो चेतना कैसी होती है वो समज सकने असमर्थ रहे है| आधुनिक पदार्थ-विज्ञान के पिता आइंस्टाइन ने माना की पार्थिव घटना के सदर्भ में चेतना के सही रूप से प्रकट कर सके नहीं है| शरीरशास्त्र और तबीब विज्ञान में नोबेल इनाम विजेता आल्बर्ट स्जेन्ट-ज्योर्जी ने दुःख पृर्वक कहा था की जीवन के रहस्य के विषय में मेरी खोज में सिर्फ अणुओ और परमाणु तक पहुंच तक सका जिसमे जीवन ही नहीं है , इस मार्ग में पे कोई जगह मेरी उगंलीयो में से जीवन चला गया और अपने वृद्धावस्था में पीछे कदम भर रहा हु|
चेतना के बारे में ख्याल इस ले ही एक रहस्य बना हुआ है जब हम किसी बारे में सोचते हे या कोई काम करते है उसका संचालन दिमाग करता है वो विज्ञान जानता है लेकिन दिमाग से उपर कोई तो होना चाहिये जो उसका भी संचालन करता हे जिसे चेतना कहा जाता है जिसे सामान्य भाषा में आत्मा भी कहा जाता है| जब किसी का जन्म होता है तब उस बालक में चेतना हे वो दिखाई देती है और जब शरीर मृत हो जाता हे तब चेतना उसमे चली जाती है|
सामान्य तौर पे हमारे शरीर के परमाणु होते है वो सात साल में सब बदल जाते है लेकिन उसके बाद भी हमारा अस्तिस्तव बदलता नहीं है जो एक रहस्य के बात है | इस पता चलता हे की कोई तो है जो अणु और परमाणु से भी उपर है जिसे हमें नाम तो दिया है लेकिन उसका बारे में जानकारी मिल सकी नहीं है | पुर्नजन्म के ख्याल भी चेतना से जुड़ा हुआ है जब किसी इंसान की मौत होती है तब शरीर मृत होता हे और अंत में नष्ट हो जाता है |
जब कोई इंसान पुनर्जन्म का दावा करता हे की वो मर चूका इंसान में ही था तो उससे पता चलता हे की कोई तो हे जो एक शरीर के ख़त्म के बाद रहा और दूसरे शरीर में चला गया| जिसे आत्मा या चेतना के रूप से सभी दुनिया के सभी धर्मशास्र में बताया गया है लेकिन वैज्ञानिक तौर उसका सही रहस्य जान सके नहीं है|
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