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शनिवार, 22 अगस्त 2020

चितोड़ की रानी पद्मनी का सच | Truth of queen Padmini of chittor

    
Image Source - Google | Image by - Maninder Dabas


                 रानी  पद्मनी  के  बारे  में  सब  जानते  है   की   चितोड़  की  रानी  पद्मिनी  थी   और  उनके  पति  का  नाम  रतनसिंह  था |  वो  चितोड़  का  राजा   था   दूसरी  तरफ   दिल्ही   नो   शासक  अलाउदीन  खिलजी  को  चित्रकार  ने  तारीफ  की   और  चितोड़  की  रानी   पसंद   आ  गयी |  बहोत  से  लोग  ये  समजते  है  की  चितोड़  के  रतनसिंह  और   अलाउदीन  के  बिच   युद्ध  में  रतनसिंह  की  मौत  हो  गयी |  जिसके बाद  पद्मिनी  और  दूसरी  रानी  ने  सती  हो  गयी   पर   इतिहास  में   देखे  तो   ये  बात  गलत  है | 
                 अलाउदीन  खिलजी  ने  आठ  साल  तक  चितोड़  पे  आक्रमण  किया   लेकिन  जीता  नहीं   इस   पर  अलाउदीन  ने  शरत   रखी  की  एक  बार  पद्मिनी  का  चहेरा  देख  लेगा  तो  चितोड़  पर  आक्रमण  छोड़  देगा | रतनसिंह  ने  दर्पण  की  हारमाला   के  बिच  पद्मिनी  की  इस  तरह  रखा  की  खिलजी  उसे  देख  सके  और  उसने  देखा  तब  उसे  पद्मावती  बहोत  अच्छी  लगी |  रतनसिंह  जब  छोड़ने  गये   तब   उनको  खिलजी  के  सैनिको  ने  बंधी  बना  दिया |  उनको  दिल्ही  ले  जाया  गया  और  रतनसिंह  को  छुड़ाने  की  शरत  रखी  की  पद्मिनी  जब  दिल्ही  आयेगी  तब  उनको  मुक्त  किया  जायेगा |  उसके  बाद  सौलह  हजार  राजपूत  स्री  के  वेश  में  पद्मिनी  के  साथ  दिल्ही  गये   फिर  खिलजी  का  रानी  ने  बहोत  प्रशंसा  की  और  आखरी  बार  रतनसिंह  से  मुलाकत  लेने  की  अनुमति  मांगी  अब  खिलजी  को  लगा  की  पद्मिनी  उसकी  हुई  है  इस  लिये  मिलने  की  अनुमति  दे  दी |  
             राजपूत  ने  और  पद्मी  ने  रतनसिंह  को  छुड़ा  लिया  जिसके  बाद  खलजी  की  सेना  के  साथ  घमासन लड़ाई  हुई  जिसमे  राजपूत  मारे  गये  लेकिन  पद्मी  और  रतनसिंह  चित्तोड़  पहुँच  गये |  वहा  रतनसिंह  के  न  होने  के  शून्यवकाश  में  कुंभलगढ़  के  देवपाल  के  विद्रोह  कर  लिया  जिसकी  वजह  से  रतनसिंह  के  देवपाल  के  युद्ध करना  पड़ा  जिसमे  देवपाल  तो  मारा  गया  पर  रतनसिंह  घायल  होने  की  वजह  से  उनकी  मृत्यु  होगी |  बाद  में  पद्मिनी  और दूसरी  रानियों  ने  उनके  पीछे  सती  हो  गयी  थी | 
             

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